पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बारे में न्याय पूर्ण गवाहियाँ
पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बारे में न्याय पूर्ण गवाहियाँ
1- जर्मनी का कवि "गोयटे" कहता हैः मैं ने इतिहास में इस मानवता
के लिए सर्वश्रेष्ठ आदर्श ढूँढा तो उसे अरबी पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम
में पाया।
2- प्रोफेसर "कीथ मोरे" अपनी किताब (The developing human) में कहते हैं : मुझे यह बात स्वीकारने में कोई कठिनाई नहीं होती कि क़ुर्आन
अल्लाह का कलाम (कथन) है, क्योंकि क़ुर्आन में भ्रूण (जनीन) के जो विवरण दिये गए हैं
उनका सातवीं शताब्दी की वैज्ञानिक जानकारी पर आधारित होना असम्भव है। एक मात्र उचित
परिणाम (निष्कर्ष) यह है कि यह विवरण मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को अल्लाह की
ओर से वह्य (ईश्वाणी) किये गये थे।
3- "वोल देवरान्त" अपनी किताब सभ्यता की कहानी भाग-11
में कहता हैः अगर हम किसी की महानता की कसौटी इस बात को बनाएं कि उस महान पुरूष का
लोगों के बीच कितना प्रभाव है, तो हमें कहना पड़ेगा कि मुसलमानों
के पैग़म्बर इतिहास के महान पुरूषों में सब से महान हैं। आप ने तअस्सुब (पक्षपात) और
ख़ुराफात (मिथ्यावाद) को लगाम लगा दिया और यहूदियत, ईसाइयत और अपने नगर के पुराने धर्म
के ऊपर एक सरल, स्पष्ट और ऐसे शक्तिषाली धर्म की
स्थापना की जो आज तक एक बहुत बड़ी खतरनाक शक्ति के रूप में बाक़ी है।
4- "जार्ज डी तोल्ज" अपनी पुस्तक “जीवन” में कहता हैः
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईश्दूत (पैग़म्बर) होने में संदेह करना दरअसल ईश्वरीय
शक्ति में संदेह करना है जो सर्व संसार में फैली हुई है।
5- वैज्ञानिक "वील्ज़" अपनी किताब “सत्य पैग़म्बर” में कहता
हैः पैग़म्बर की सच्चाई का सबसे स्पष्ट प्रमाण यह है कि उनके घर वाले और उनके सबसे क़रीबी
लोग उन पर सब से पहले ईमान लाये। वे लोग उनके सारे भेदों को जानते थे, अगर उन्हें आप की सच्चाई के बारे
में कुछ संदेह होता तो वे आप पर ईमान न लाते।
6- मुस्तश्रिक़ (प्राच्य
विद्या विशारद) "हील" अपनी किताब "अरब की सभ्यता”" में कहता हैः मानव इतिहास
में हम कोई धर्म नहीं जानते जो इतनी तेज़ी से फैला और दुनिया को बदल डाला हो जिस प्रकार
इस्लाम ने किया है। मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक उम्मत (समुदाय) को जन्माया, धर्ती पर अल्लाह की उपासना का सिक्का
जमा दिया, न्याय और समाजी बराबरी की नीव रखी और ऐसे लोगों में व्यवस्था, प्रबन्ध, आज्ञापालन और प्रतिष्ठा एवं सम्मान
स्थापित कर दिया जो कुप्रबंध और दुर्व्यवस्था के सिवा कुछ नहीं जानते थे।
7- हस्पानवी मुस्तश्रिक़ (प्राच्य
विद्या विशारद) "जान लीक" अपनी किताब “अरब” में कहता हैः मुहम्मद
सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जीवन की विषेषता का वर्णन इस से बेहतर कोई नहीं कर सकता
जो विषेषता वर्णन अल्लाह ने अपने इस फर्मान के द्वारा किया हैः
"हम ने आपको सर्व संसार वालों के लिए रहमत (कृपा और दया) बनाकर
भेजा है।"(सूरतुल अम्बियाः 107)
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम
सच-मुच रहमत थे, मैं उन पर लालसा और उत्सुकता से दरूद
भेजता हूँ।
8- "बर्नार्ड शा" अपनी किताब “इस्लाम सौ साल के बाद” में कहता हैः पूरी दुनिया
शीघ्र ही इस्लाम को स्वीकार कर लेगी। अगर वह उसे उसके स्पष्ट नाम के साथ स्वीकार न
करे तो उसे मुस्तआर (किसी दूसरे) नाम से अवश्य स्वीकार करेगी। एक दिन ऐसा आएगा कि पश्चिम
के लोग इस्लाम धर्म को गले से लगायेंगे। पश्चिम पर कई सदियाँ गुज़र चुकी हैं और वह इस्लाम
के संबंध में झूठ से भरी हुई किताबें पढ़ता चला आ रहा है। मैं ने मुहम्मद सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम के बारे में एक किताब लिखी थी किन्तु अंग्रेज की रीतियों और परम्पराओं
से हट कर होने के कारण वह ज़ब्त कर ली गई।
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