रमज़ान में मुसलमान को कैसा होना चाहिए?
हर प्रकार की
प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
अल्लाह
सर्वशक्तिमान का फरमान है :
“रमज़ान का महीना वह
है जिसमें क़ुरआन उतारा
गया जो लोगों के लिए मार्गदर्शक है और जिसमें मार्गदर्शन की और सत्य तथा असत्य के
बीच अन्तर की निशानियाँ हैं। अतः तुम में से जो व्यक्ति इस महीना को पाए
उसे रोज़ा रखना चाहिए और जो बीमार हो या यात्रा पर हो तो वह दूसरे दिनों में उसकी गिन्ती
पूरी करे, अल्लाह तआला
तुम्हारे साथ आसानी चाहता
है,
तुम्हारे साथ सख्ती नहीं चाहता है। तथा वह चाहता है कि तुम संख्या पूरी
कर लो और अल्लाह ने जो तुम्हें सीधा मार्ग दिखाया है,
उस पर उसकी बड़ाई बयान करो और ताकि तुम कृतज्ञ बनो।”
(सूरतुल बक़राः 185)
यह मुबारक महीना
भलाई, बरकत, उपासना और
आज्ञाकारिता
का एक महान मौसम
(ऋत) है।
यह एक महान महीना और
एक दयाशील मौसम है,
एक ऐसा महीना
जिसमें नेकियों को कई गुना बढ़ा दिया जाता है, और बुराईयाँ बड़ी हो जाती है, जन्नतों के द्वार
खोल दिए
जाते हैं, जहन्नम के द्वार
बंद कर दिए जाते हैं,
तथा इसमें पापियों
और बुराई करने
वालों का अल्लाह
के पास तौबा स्वीकार किया जाता है।
अतः उसने आपके ऊपर
भलाईयों और बरकतों के मौसमों के द्वारा जो अनुकम्पा किया है और तुम्हें प्रतिष्ठा के
कारणों और नाना प्रकार की नेमतों से विशिष्ट किया है उन पर उसके आभारी बनो, तथा श्रेष्ठ समयों
और प्रतिष्ठित मौसमों के आगमन को उन्हें नेकियों में लगा कर और हराम चीज़ों को छोड़कर गनीमत
जानो, आप सर्वश्रेष्ठ
जीवन से सम्मानित होंगे
और मरने के बाद सौभाग्य प्राप्त होगा।
सच्चे मोमिन के
लिए सभी महीने उपासना के मौसम होते हैं और पूरा जीवन उसके निकट नेकी (आज्ञाकारिता) का मौसम
होता है, किंतु रमज़ान के
महीने में
भलाई के लिए उसकी
महत्वाकांक्षा बढ़ जाती है और इबादत के लिए उसका दिल अधिक सक्रिय हो जाता है, और वह अपने सर्वशक्तिमान
पालनहार की ओर ध्यान आकर्षित करता है, और हमारे दानशील पालनहार ने अपनी दानशीलता और
उदारता से रोज़ेदार मोमिनों पर दया करते हुए इस प्रतिष्ठित स्थान पर उनके पुण्य को कई गुना
कर दिया और नेक कार्यों पर उनके इनाम और उपहार को भरपूर कर दिया है।
आज की रात कल की
रात के कितना समान है .
.
ये दिन बड़ी तेज़ी
से गुज़र जाते हैं गोया कि ये कुछ पल हैं, हम ने रमज़ान का अभिवादन किया फिर उसे विदा कर दिया, और कुछ अवधि के
बाद हम दूसरी बार रमज़ान
का अभिवादन करने वाले हैं। अतः हमारे ऊपर अनिवार्य है कि इस महान महीने में नेक कार्यों में
जल्दी (पहल) करें,
और हम उसे ऐसी
चीज़ों से भरने के लालायित बनें जो अल्लाह को प्रसन्न करने वाली हो और जो हमें उस दिन
सौभाग्य प्रदान करे जिस
दिन कि हम उस से
मुलाक़ात करेंगे।
हम रमज़ान के लिए
कैसे तैयारी करें?
रमज़ान में तैयारी
शहादतैन (यानी ला इलाहा इल्लल्लाह और मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह की शहादत) को परिपूर्ण करने में
कोताही, या वाजिबात
(कर्तव्यों)
में कोताही, या जिन इच्छाओं और
संदेहों के हम शिकार हो जाते हैं उन्हें छोड़ने में कोताही करने पर नफ्स का मुहासबा (जांच
पड़ताल) करने का द्वारा होती है . .
अतः बंदा अपने
व्यवहार को ठीक कर ले ताकि वह रमज़ान में ईमान के ऊँचे पद पर हो . . क्योंकि ईमान घटता और बढ़ता
रहता है, नेकी
(आज्ञाकारिता) से
बढ़ता और अवज्ञा से
घटता है।
चुनांचे बंदे सबसे
पहली जिस आज्ञाकारिता को प्राप्त करना चाहिए वह अकेले अल्लाह की बंदगी (उपासना) को
परिपूर्ण करना है,
और उसके दिल में
यह तथ्य बैठ जाये कि
अल्लाह के अलावा कोई वास्तविक पूज्य नहीं। अतः वह सभी प्रकार की इबादतें केवल अल्लाह के
लिए करे उसके साथ उसकी इबादत में किसी को साझी न ठहराए। तथा हम में से हर एक यह विश्वास
रखे कि उसे जो चीज़ पहुँची है वह उससे चूकने वाली नहीं थी, और जो चीज़ उससे
चूक गई है
वह उसे पहुँचने
वाली नहीं थी और यह कि हर चीज़ एक अनुमान के अनुसार है।
तथा हम हर उस चीज़
से बाज़ रहें जो शहादतैन (अर्थात् ला इलाहा इल्लल्लाह और मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह की शहादत) की परिपूर्णता
के विरूध है, और वह इस प्रकार
कि नवाचार
और धर्म में नई
चीज़ें पैदा करने से दूर रहें। तथा अल्लाह के लिए दोस्ती व दुश्मनी को साकार करके, इस प्रकार कि हम
मोमिनों (विश्वासियों) से दोस्ती रखें और काफिरों और मुनाफिक़ों से दुश्मनी रखें
और मुसलमानों के उनके दुश्मनों
पर विजय से खुश हों।
नबी सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम और आपके साथियों का अनुसरण करें, आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत और आपके बाद मार्गदर्शित पुनीत
खुलफा की सुन्नत को अपनायें,
तथा आपकी सुन्नत
से प्यार
करें और सुदृढ़ता
के साथ सुन्नत का पालन करने वाले और उसकी रक्षा करने वाले से प्यार करें, चाहे वह
किसी भी देश में,
किसी भी रंग और
किसी भी राष्ट्र का हो।
इसके बाद हम नेकियों
(आज्ञाकारिता) के करने में लापरवाही पर अपने नफ्स का मुहासबा करें, जैसेकि जमाअत के
साथ नमाज़ पढ़ने, अल्लाह
सर्वशक्तिमान
का स्मरण करने, पड़ोसी, रिश्तेदारों और
मुसलमानों
के अधिकारों की
अदायगी करने, सलाम को फैलाने, भलाई का आदेश करने
और बुराई से रोकने, हक़ बात की वसीयत करने और
उस पर सब्र करने,
बुराईयों से रूकने, तथा आज्ञाकारिता
पर और अल्लाह
सर्वशक्तिमान की तक़दीर पर धैर्य से काम लेने में लापरवाही और कोताही।
फिर अवज्ञाओं, पापों और इच्छाओं
का पालन करने पर
मुहासबा करना इस प्रकार कि अपने नफ्स को उन पर जारी रहने से रोक लेना, चाहे वह पाप छोटा
हो यह बड़ा, चाहे वह पाप अल्लाह की
हराम की हुई चीज़ की ओर आँख से देखने के द्वारा हो या संगीत वाद्ययंत्रों को सुनने, या ऐसी चीज़ की तरफ चलकर जाने के द्वारा हो
जो अल्लाह को पसंद नहीं है,
या अल्लाह तआला की
नापसंदीदा
चीज़ को दोनों
हाथों से पकड़ने के द्वारा हो,
या अल्लाह तआला ने
जिस चीज़ को हराम कर दिया
है उसको खाने के
द्वारा हो जैसे कि सूद,
या रिश्वत (घूँस), या इसके अलावा
अन्य चीज़ें
जो लोगों के धन को
अवैध रूप से खाने के अंतर्गत आती हैं।
तथा हमारी
दृष्टियों के सामने यह बात हो कि अल्लाह सर्वशक्तिमान दिन के समय अपने हाथ को फैलात है ताकि रात का
पापी तौबा कर ले,
तथा रात के समय अपने हाथ
को फैलाता है ताकि दिन का पापी तौबा कर ले, अल्लाह सर्वशक्तिमान का फरमान है :
‘‘और अपने पालनहार
की क्षमा की तरफ और उस
जन्नत की ओर दौड़ो
जिसकी चौड़ाई आसमानों और ज़मीन के बराबर है, जो परहेज़गारों के लिए तैयार की गई है। जो लोग आसानी में और तकलीफ़ में (भी
अल्लाह कि राह में) खर्च
करते हैं, गुस्से को पी जाते
हैं और लोगों को माफ
करने वाले हैं, और अल्लाह अच्छे कार्य करनेवालों से प्यार करता
है। जब वे कोई खुला गुनाह कर बैठते है या अपने आप पर ज़ुल्म करते है तो तत्काल ही अल्लाह को याद करते हैं और वे अपने
गुनाहों की क्षमा चाहने लगते हैं,
और वास्तव में अल्लाह के सिवाय
कौन गुनाहों को माफ कर सकता है? और वे जानते हुए अपने किए पर अटल नहीं रहते
हैं। उनका बदला उनके पालनहार की ओर से माफी और ऐसे बाग हैं जिनके नीचे नहरें
बह रही हैं, जिसमें वे हमेशा रहेंगे और नेक कार्य करने वालों का यह कितना अच्छा
अज्र है।” (सूरत आल इम्रान :
133 - 136)
तथा अल्लाह तआला ने
फरमाया :
‘‘(हे पैगंबर) आप कह दीजिए कि ऐ
मेरे बन्दों! जिन्हों
ने अपनी जानों पर अत्याचार किया है अल्लाह की रहमत से निराश न हो, निःसन्देह अल्लाह
तआला सभी गुनाहों को
माफ कर देता है, निःसंदेह वह बड़ा
क्षमा करने वाला अत्यन्त दयालू है।” (सूरतुज़्ज़ुमर : 53)
तथा अल्लाह तआला
का कथन है:
“और जो भी कोई
बुराई करे
या खुद अपने ऊपर
ज़ुल्म करे, फिर अल्लाह तआला
से क्षमा मांगे तो अल्लाह को बड़ा क्षमाशील और दयावान पाए गा।” (सूरतुन्निसा : 110)
हमारे ऊपर अनिवार्य है
कि हम इस मुहासबा,
तौबा और इस्तिग़फार
(क्षमायाचना) के द्वारा रमज़ान का अभिवादन करें, “बुद्धिमान आदमी वह है जो अपने नफ्स का मुहासबा करे और
मृत्यु के बाद के लिए
कार्य करे, और बेबस (विवश)
आदमी वह है जो अपने नफ्स को अपनी इच्छाओं के पीछे लगादे और अल्लाह तआला पर आशायें बांधे।”
रमज़ान का महीना
लाभ और मुनाफे का
महीना है, और बुद्धिमान
व्यपारी
मौसमों को गनीमत
समझता है ताकि अपने मुनाफे में वृद्धि करे, अतः इस महीने को इबादत, अधिक नमाज़,
क़ुर्आन की तिलावत, लोगों को क्षमा
करने, दूसरों के साथ
भलाई करने, गरीबों पर दान
करने में
गनीमत समझो।
चुनाँचे रमज़ान के
महीने में स्वर्ग के द्वार खोल दिए जाते हैं, नरक के द्वार बंद कर दिए जाते हैं, शैतान जकड़ दिए
जाते हैं और एक आवाज़ (गुहार) लगाने वाला हर रात आवाज़ देता है : ऐ भलाई के इच्छुक, आगे बढ़ और ऐ बुराई
के इच्छुक, रूक जा।
अतः ऐ अल्लाह के
बंदो, अपने सलफ सालेहीन
(पुनीत पूर्वजों) का पालन
करते हुए अपने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत से निर्देश प्राप्त करते हुए
भलाई करने वालों में से बनो ताकि हम रमज़ान से बख्शे हुए पाप और स्वीकार किए गए नेक अमल के
साथ बाहर निकलें।
और इस बात को जान
लो कि रमज़ान का महीना सबसे श्रेष्ठ महीना है :
इब्नुल क़ैयिम ने
फरमाया : और इसी में से - अर्थात् अल्लाह तआला की पैदा की हुई चीज़ों के बीच एक की दूसरे पर
वरीयता में से - रमज़ान के महीने की अन्य शेष महीनों पर वरीयता तथा उसकी अंतिम दहाई को
अन्य सभी रातों पर वरीयता देना है।”
(ज़ादुल मआदः 1/56).
इस महीने को अन्य
महीनों पर चार चीज़ों की वजह से वरीयता प्राप्त है :
प्रथम :
इसके अंदर एक ऐसी
रात है जो साल की रातों में सबसे श्रेष्ठ रात है, और वह लैलतुल क़द्र (क़द्र की रात) है। जिसके बारे में अल्लाह सर्वशक्तिमान का कथन
है :
“निःसन्देह हम ने
इसे क़द्र (प्रतिष्ठा)
की रात में उतारा है। और आप को कया मालूम कि क़द्र की रात क्या हैॽ क़द्र की रात एक हज़ार
महीने से अधिक श्रेष्ठ है। इस (रात) में फरिश्ते और रूह (जिब्रील) अपने रब के हुक्म से हर
काम के लिए उतरते हैं। यह रात फज्र के निकलने तक शान्ति वाली होती है।” (सूरतुल क़द्र : 1 – 5)
अतः इस रात में
इबादत एक हज़ार महीने की इबादत से बेहतर है।
दूसरा :
इस महीने में
सर्वश्रेष्ठ पुस्तक सर्वश्रेष्ठ पैगंबर पर अवतरित हुई। अल्लाह तआला का कथन है :
“रमज़ान का महीना वह
है जिसमें क़ुरआन उतारा
गया जो लोगों के लिए मार्गदर्शक है और जिसमें मार्गदर्शन की और सत्य तथा असत्य के
बीच अन्तर की निशानियाँ हैं।”
(सूरतुल बक़राः 185)
तथा अल्लाह तआला
ने फरमाया :
“निःसंदेह हम ने
इसे एक बरकत वाली रात में
उतारा है, निःसंदेह हम डराने
वाले हैं। इसी रात में हर मज़बूत काम का फैसला किया जाता है।” (सूरतुद्-दुखान : 3
- 4)
तथा अहमद और
तब्रानी ने अपनी अल-मोजमुल कबीर में वासिला बिन अल-असक़अ़् रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है
कि उन्हों ने फरमाया : अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: “इब्राहीम
अलैहिस्सलाम
के सहीफे रमज़ान की
पहली रात में अवतरित हुए,
तौरात रमज़ान की छः
रातें बीतने पर अवतरित हुआ,
इंजील रमज़ान की
तेरह रातें बीतने पर अवतरित हुई और ज़बूर रमज़ान की अठारह रातें बीतने पर अवतरित हुआ और क़ुरआन करीम
रमज़ान की चौबीस रातें
बीतने पर अवतरित हुआ।”
इसे अल्बानी ने
अस्सिलसिला अस्सहीहा (हदीस संख्या : 1575) में हसन क़रार दिया है।
तीसरा : इस महीने
में स्वर्ग के द्वार खोल दिए जात हैं,
नरक के द्वार बंद
कर दिए जाते हैं और शैतान जकड़ दिये जाते हैं :
अबू हुरैरा
रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जब रमज़ान आता है
तो स्वर्ग
के द्वार खोल दिए
जाते है, नरक के द्वार बंद
कर दिए जाते हैं और शैतानों को जकड़ दिया जाता है।” (बुखारी व मुस्लिम)
तथा नसाई ने अबू
हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व
सल्लम ने फरमाया :
“जब रमज़ान आता है तो रहमत के दरवाज़े खोल दिए
जाते हैं, नरक के दरवाज़े बंद
कर दिए जाते हैं और शैतानों को ज़ंजीरों में जकड़ दिया जाता है।” अल्बानी ने इसे
सहीहुल जामे (हदीस संख्या : (471) में सहीह कहा है।
तथा तिर्मिज़ी, इब्ने माजा और
इब्ने खुज़ैमा ने
एक रिवायत में
वर्णन किया है कि :
“जब रमज़ान की पहली रात होती है तो शैतानों और विद्रोही
जिन्नों
को जकड़ दिया जाता
है, नरक के द्वार बंद
कर दिए जाते हैं तो उनमें से कोई द्वार खोला नहीं जाता है, और जन्नत के द्वार
खोल दिए जाते हैं तो फिर
उनमें से कोई
द्वार बंद नहीं किया जाता है,
और एक आवाज़ लगाने
वाला आवाज़ लगाता है : ऐ भलाई के इच्छुक,
आगे बढ़ और ऐ बुराई के
चाहने वाले, रूक जा। और अल्लाह
के कुछ आग से मुक्त किए हुए बंदे होते हैं और यह हर रात होता है।” अल्बानी ने इसे सहीहुल जामेअ (हदीस संख्या : 759)
यदि कोई आपत्ति
व्यक्त करे कि : हम देखते हैं कि रमज़ान में बुराईयाँ और पाप बहुत अधिक होते हैं, यदि शैतानों को
जकड़ दिया
गया होता तो ऐसा नहीं
होता ॽ
तो इसका उत्तर यह
है कि : ये मात्र उस आदमी से कम होती हैं जो रोज़े की शर्तों का पालन करता है और उसके
आचरण का ध्यान रखता है।
या यह कि मात्र
कुछ शैतानों को जकड़ दिया जाता है और वे विद्रोही शैतान हैं सभी शैतान नहीं हैं।
या इस हदीस से
अभिप्राय इस महीने में बुराईयों का कम होना है, और यह चीज़ अनुभव की जाती है, चुनाँचे इस
महीने में
बुराई अन्य महीनों
के मुक़ाबले में कम होती है। क्योंकि सभी शैतानों के जकड़ दिए जाने से यह आवश्यक नहीं हो जाता कि
अब कोई बुराई या पाप घटित नहीं होगा, इसलिए कि इसके शैतानों के अलावा भी कारण
होते हैं, जैसे - बुरी
आत्मायें, बुरी आदतें और
मनुष्यों
में से शैतान लोग।” (फत्हुल बारी
4/145).
चौथा :
इस महीने के अंदर
बहुत सी इबादतें हैं,
जिनमें से कुछ
अन्य महीनों
में नहीं पाई जाती
हैं जैसे- रोज़ा, क़ियामुल्लैल
(तरावीह), खाना खिलाना, एतिकाफ, सदक़ा (दान) और
क़ुरआन की तिलावत ।
तथा मैं सर्वोच्च
महान अल्लाह से प्रार्थना करता हूँ कि वह सभी को इसकी तौफीक़ दे और रोज़ा रखने, क़ियाम करने और
नेकियाँ
करने और बुराईयों
को त्यागने पर हमारा सहयोग करे।
और सभी प्रशंसा और स्तुति केवल सर्व संसार के पालनहार के
लिए है।
इस्लाम प्रश्न और उत्तर
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